सुल्तानपुर(निशांत मिश्रा)-जांच में दोहरा मापदंड अपना चहेतो को लाभ पहुंचाने का हो रहा प्रयास

सुल्तानपुर। ग्राम पंचायतों की कराई जा रही जांच में प्रशासन का दोहरा मापदंड सामने आया है। प्राथमिक जांच में आरोपी मिलने पर प्रशासन की ओर से ग्राम प्रधानों को निलंबित कर दिया जा रहा लेकिन बराबर के दोषी अधिकांश सेक्रेटरी बचकर निकल जा रहे हैं। बाद में अधिकांश को विभागीय जांच की खानापूरी करके क्लीन चिट दे दी जा रही है। प्रशासन व विभाग की इस कार्रवाई से जांच पर सवाल उठने लगे हैं।

पंचायतराज विभाग की रिपोर्टों के मुुताबिक मौजूदा समय में जिले के आठ ग्राम प्रधान निलंबित (वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार सीज) चल रहे हैं। इसमें करौंदीकलां के हिंदुआबाद, अखंडनगर के नरायनपुर कलां, मोतिगरपुर के मैरीरंजीत, मोतिगरपुर के ही भदिला खानीपुर, जयसिंहपुर के अमिलिया सिकरा, कूरेभार के निजामपट्टी, कुड़वार के इसरौली व लंभुआ विकास खंड के लंभुआ ग्राम पंचायत प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार को डीएम ने सीज कर दिया है।
डीएम ने ये कार्रवाई शिकायत पर कराई गई जांच में लाखों की वित्तीय अनियमितता की रिपोर्ट पर की है। अलग-अलग अधिकारियों से कराई गई इन जांचों में ग्राम प्रधान के साथ पंचायत सचिव (सेक्रेटरी) भी बराबर के आरोपी पाए गए हैं।
अधिकारियों की रिपोर्ट पर जिला मजिस्ट्रेट ने ग्राम प्रधानों का वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारी तत्काल सीज करते हुए संबंधित सेक्रेटरियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया था। इसके बाद भी इसमें अधिकांश ग्राम पंचायतों के सेक्रेटरियों के खिलाफ कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी। इसमें जयसिंहपुर के अमिलिया सिकरा ग्राम पंचायत का मामला तो करीब एक वर्ष पुराना हो गया।
इसरौली की आरोपी सेक्रेटरी को हाल में विभाग से संबद्घ कर दिया गया। मैरीरंजीत के सेक्रेटरी सेवानिवृत्त हो गए। कूरेभार के निजामपट्टी के सेक्रेटरी उसी गांव में कार्यरत हैं। यही हाल हिंदुआबाद, भदिलाखानीपुर, नरायनपुर कलां ग्राम पंचायतों के सेक्रेटरियों का है।
करीब 40 लाख रुपये के वित्तीय अनियमितता में लंभुआ ग्राम पंचायत प्रधान अभी निलंबित चल रही हैं, जबकि प्रकरण में आरोपी दो सेक्रेटरी को निलंबित करने के कुछ दिन बाद बहाल कर दिया गया।
लंभुआ ग्राम पंचायत के आरोपी एक तीसरे सेक्रेटरी को अभी तक निलंबित ही नहीं किया गया। पहले के प्रकरण में वे अभी तक बचाए गए थे कि उसी ग्राम पंचायत के दूसरे वित्तीय अनियमितता के मामले में ये फिर आरोपी पाए गए। कार्रवाई के नाम पर इन्हें सिर्फ आरोप पत्र जारी कर दिया गया है।
जिला पंचायतराज अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि ग्राम प्रधान के निलंबित होने के बाद डीएम के आदेश के क्रम में पंचायत विभाग के सेक्रेटरियों को निलंबित कर दिया जाता है। ग्राम विकास अधिकारियों के निलंबन के लिए जिला विकास अधिकारी को पत्र भेजा जाता है। उन पर कार्रवाई करना विकास विभाग का कार्य है।

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