दिल्ली(मनोज पांडेय)-दिल्ली में घाटे में चल रहा परिवहन

डीटीसी 2015 से सालाना 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही हैं
क्यों?

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) 2015 से सालाना 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रहा है और यह अपने मौजूदा बेड़े में एक भी बस जोड़ने में असमर्थ रहा है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने उन खबरों का भी खंडन किया कि व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध के लिए डीटीसी द्वारा खरीदी जा रहीं 1,000 लो फ्लोर बसों के विनिर्माताओं को 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाना है, दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने विधानसभा में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक विजेंद्र गुप्ता के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही। दिल्ली विधानसभा का मॉनसून सत्र शुक्रवार को संपन्न हो गया। भाजपा विधायक अजय महावर के एक अन्य सवाल के जवाब में परिवहन विभाग ने कहा कि डीटीसी ने 2015 के बाद से कोई बस नहीं खरीदी है।
विभाग ने कहा कि हालांकि 'दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) संचालित क्लस्टर योजना के तहत, 2015 के बाद 1,387 बसों की खरीद की गई है।
पिछले छह वर्षों में, डीटीसी को 2014-15 में 1,019.36 करोड़ रुपये, 2015-16 में 1,250.15 करोड़ रुपये, 2016-17 में 1,381.78 करोड़ रुपये, 2017-18 में 1,730.02 करोड़ रुपये और 2018-19 में 1,664.56 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

इसने कहा कि 2019-20 के अनुमान के अनुसार, घाटा 1,834.67 करोड़ रुपये था। डीटीसी द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद का कार्य आदेश दो विनिर्माताओं को जारी किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग द्वारा प्रक्रिया को रोक दिया गया है।

रिपोर्टर
मनोज पांडेय

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