कन्नौज(अवनीश कुमार तिवारी)-असीम की जीत से फिर कन्नौज जिला हुआ वीआईपी



असीम की जीत से फिर कन्नौज जिला हुआ वीआईपी , पुलिस अधिकारी से बना दिया राजनेता

लोहिया, शीला दीक्षित और अखिलेश ने कन्नौज से शुरू की थी राजनीति।

अवनीश कुमार तिवारी

कन्नौज। कानपुर के पुलिस कमिश्नर पद से वीआरएस लेकर चुनावी मैदान में कूदे असीम अरुण को कन्नौज की जनता ने विधायक बनाकर एक बार फिर वीआईपी दर्जा हासिल कर लिया है और प्रदेश सरकार में उनके मंत्री बनने की भी प्रबल संभावनाएं है। क्योंकि असीम अरुण भाजपा हाई कमान की पसंद के कारण ही नौकरी छोड़कर चुनावी मैदान में उतरे थे। विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में कन्नौज की सीट पर सारे लोगों की निगाहें थी और भाजपा हाई कमान ने कन्नौज की ही माटी में जन्मे असीम अरुण के रूप में वीआईपी प्रत्याशी लड़ाया। जिसे कन्नौज की जनता ने हाथोंहाथ लिया और पहली बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। कन्नौज वैसे तो कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की उद्गम नगरी के रूप में विख्यात है और कन्नौज का इतिहास रहा है कि कन्नौज ने कई राजनेताओं को राजनीति में न केवल सफलता दिलाई है बल्कि शिखर तक पहुँचाया है। इसमे सबसे पहला नाम स्वर्गीय राम मनोहर लोहिया का है। राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के धुर विरोधी थे और हमेशा उनके खिलाफ चुनाव लड़ते थे। डा लोहिया ने कन्नौज में हुये उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाई और कन्नौज को अपनी कर्मभूमि बनाया और कन्नौज से पहला चुनाव जीतकर लोकसभा में कन्नौज की आवाज बुलंद की। डॉ लोहिया ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार में सूचना मंत्री डॉ बी बी केशकर को पराजित किया। इसके बाद बंगाल के राज्यपाल उमा शंकर दीक्षित की पुत्र वधू और उत्तर प्रदेश में आईएएस अधिकारी ऊर्जा सचिव विनोद दीक्षित की पत्नी शीला दीक्षित को वीआईपी रूप में वर्ष 1984 में स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट पर मैदान में उतारा गया।वीआईपी प्रत्याशी होने के कारण शीला दीक्षित ने 1984 का चुनाव जीत लिया लेकिन 1989 का चुनाव वह हार गईं और बाद में तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित किया।सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखि लेश यादव ने भी कन्नौज से ही अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और पहला लोकसभा उपचुनाव 2000 में जीतकर लगातार कन्नौज लोकसभा के तीन चुनाव जीते। कन्नौज में लोकसभा सांसद रहते ही वह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। बाद में कन्नौज लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव कंन्नौज लोकसभा से निर्विरोध निर्वाचित हुई जो अपने आप मे एक रिकॉर्ड है। हालांकि 2019 का चुनाव डिंपल यादव हार गई।कन्नौज को यह गौरव हासिल है कि कई राजनेताओं की राजनीतिक पारी कन्नौज ने शुरू की जो वीआईपी थे लेकिन कन्नौज ने वीआईपी को हराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सन 1991 में महालेखाकार से अवकाश लेने वाले तिर्वा निवासी टीएन चतुर्वेदी  को भाजपा ने कन्नौज लोकसभा से चुनाव लड़ाया , लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। बाद में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा सदस्य और कर्नाटक का राज्यपाल बनाया।

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